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काले सच: बड़े पैमाने पर मतदाता नाम गायब — बिहार, तेलंगाना और महाराष्ट्र में रोल कटौती
1) बिहार का मामला — 65 लाख नाम हटा दिए गए
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि बिहार की SIR प्रक्रिया के दौरान ड्राफ्ट रोल से हटाए गए 65 लाख नाम कारण सहित सार्वजनिक किए जाएँ।
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने रविवार को विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के पहले चरण में मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों का विवरण प्रकाशित किया।
यह तब हुआ जब सर्वोच्च न्यायालय ने एसआईआर के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को उन लोगों का विवरण प्रकाशित करने का निर्देश दिया था जिनके नाम मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए थे और हटाने के कारण भी बताए थे।
2) तेलंगाना का अनुभव — GHMC और नाम गायब होना
Greater Hyderabad Municipal Corporation क्षेत्र में लगभग 30 लाख नाम duplicate/bogus voter detection प्रक्रिया के तहत बिना पर्याप्त सत्यापन के हटाए गए। कई लोगों ने Form-7 के माध्यम से पुनः नामांकन की कोशिश की, लेकिन सूचना नहीं मिली।
दिसंबर 2018 में हुए तेलंगाना विधानसभा चुनावों में, राज्य के लाखों मतदाता, जिनमें से ज़्यादातर ग्रेटर हैदराबाद क्षेत्र के थे, मतदाता सूची से नाम गायब होने के कारण वोट नहीं डाल पाए। अब, एक आरटीआई से पता चला है कि तेलंगाना चुनाव आयोग ने बिना किसी सत्यापन के संभावित डुप्लिकेट मतदाताओं को हटाने के लिए आधार का इस्तेमाल किया।
आरटीआई से पता चला है कि 2015 में मतदाता सत्यापन के तरीके में गंभीर विसंगतियाँ थीं, जिसके कारण मतदाताओं के नाम हटा दिए गए।
3) प्रक्रिया और नियम — कैसे होता है डिलीशन?
Draft rolls, Form-6/Form-7 की सूचना, duplicate detection, Aadhaar-EPIC लिंकिंग आदि प्रक्रिया शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि_deleted नामों की सूची और कारण सार्वजनिक हो।
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने रविवार को विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के पहले चरण में मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों का विवरण प्रकाशित किया।
यह तब हुआ जब सर्वोच्च न्यायालय ने एसआईआर के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए लोगों का विवरण और हटाए जाने के कारणों को प्रकाशित करने का निर्देश दिया था।
बिहार के सीईओ विनोद सिंह गुंजियाल ने एक बयान में कहा, "माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 14.08.2025 को पारित अंतरिम आदेश के आलोक में, यह अधिसूचित किया जाता है कि ऐसे मतदाताओं की सूची, जिनके नाम वर्ष 2025 (ड्राफ्ट प्रकाशन से पहले) की मतदाता सूची में शामिल थे, लेकिन 01.08.2025 को प्रकाशित ड्राफ्ट रोल में शामिल नहीं हैं, कारणों (मृत / स्थायी रूप से स्थानांतरित / अनुपस्थित / बार-बार प्रविष्टि) के साथ, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, बिहार और बिहार राज्य के सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइटों पर प्रकाशित की गई है।"
Indian Express — After Supreme Court direction, EC publishes list …
4) नागरिकों के अनुभव और शिकायतें
वोटर कार्ड धारक कई क्षेत्रों में बूथ पर गए पर नाम नहीं मिला; GHMC के BLOs ने घर-घर सत्यापन ठीक से नहीं किया गया यह शिकायत।
2018 के विधानसभा चुनावों के दौरान, मतदान के दिन बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम हटाए जाने की सूचना मिली थी।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, तेलंगाना में 2014 के आम (और राज्य) चुनावों के दौरान 28.1 मिलियन मतदाता थे।
NDTV — Telangana Poll Body Chief After Missing Names Of Voters
Mint — Deletion of voter names in Telangana: Electoral officer admits to lapses
5) चुनाव आयोग और अधिकारियों की प्रतिक्रिया
ECI ने कहा कि उन उम्मीदवारों को पुनः नामांकन का अवसर दिया गया है; नाम हटाए जाने से पहले सूचना दी गई है; कुछ खामियों को स्वीकार किया गया है।
The News Minute — RTI reveals names deleted without verification
6) न्यायालय / सुप्रीम कोर्ट के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि जिन मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट रोल से हटाए गए हैं, उनकी सूची और कारण पंचायत-स्तर/जिला अधिकारी कार्यालयों में प्रकाशित होंगे; Aadhaar/EPIC जैसे डॉक्युमेंट स्वीकार हों।
New Indian Express — SC asks ECI to disclose identity of 65 lakh deleted voters
📌 रिपोर्ट
1. विपक्ष का पुराना आरोप – EVM में गड़बड़ी
भारत में 2009 से ही EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठते रहे हैं। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी जैसे दलों ने कई बार दावा किया कि मशीनें हैक की जा सकती हैं।
🔗 The Hindu रिपोर्ट देखें
2. राहुल गांधी और विपक्ष का रुख
राहुल गांधी ने हाल ही में कहा कि "भारत का लोकतंत्र खतरे में है क्योंकि EVM पर भरोसा नहीं किया जा सकता।" विपक्षी गठबंधन INDIA ने भी EVM की जगह बैलेट पेपर की मांग उठाई।
🔗 Indian Express कवरेज
3. चुनाव आयोग का दावा – EVM सुरक्षित हैं
Election Commission of India बार-बार दोहराता रहा है कि भारत की EVM tamper-proof हैं। आयोग कहता है कि "अब तक किसी भी अदालत ने या तकनीकी कमेटी ने EVM में छेड़छाड़ साबित नहीं की।"
🔗 Times of India रिपोर्ट
4. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी
सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में EVM और VVPAT स्लिप्स के मिलान को लेकर याचिकाओं पर सुनवाई की थी। कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र का भरोसा सबसे अहम है और पारदर्शिता बनी रहनी चाहिए।
🔗 Scroll रिपोर्ट
5. जनता की धारणा
हालिया सर्वे बताते हैं कि जनता का एक हिस्सा अभी भी EVM पर पूरा भरोसा नहीं करता। हालांकि ग्रामीण इलाकों में मशीन को स्वीकार्यता ज्यादा है, लेकिन शहरी और जागरूक मतदाता सवाल पूछ रहे हैं।
🔗 Mint रिपोर्ट
📌 नोट: यह सीरीज़ लोकतंत्र और जनता के विश्वास से जुड़े उन सवालों को सामने ला रही है, जिन्हें मुख्यधारा मीडिया अक्सर किनारे कर देती है।
जारी है......
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